ना तेरा खुदा कोई और है I
ना मेरा खुदा कोई और है II
*
ये जो रास्ते हैं जुदा-जुदा I
ये मामला कोई और है II
*
जिसे ढूंढता है तू यहाँ-वहाँ I
दिल में तेरे वो मौजूद है II
*
जिसे मिल गया एक बार वो I
उसका सारा संसार है II
*
ना तेरा खुदा कोई और है I
ना मेरा खुदा कोई और है II
***
http://www.thenetpress.com/
ना मेरा खुदा कोई और है II
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ये जो रास्ते हैं जुदा-जुदा I
ये मामला कोई और है II
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जिसे ढूंढता है तू यहाँ-वहाँ I
दिल में तेरे वो मौजूद है II
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जिसे मिल गया एक बार वो I
उसका सारा संसार है II
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ना तेरा खुदा कोई और है I
ना मेरा खुदा कोई और है II
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5 comments:
apki shayri khuda se jodti hai fasle ghatati hai . hum bhi issi raste ke musafir hain.
dekhen
http://vandeishwaram.blogspot.com
apko vote karta hun.
रज़िया जी बिलकुल सही कहा न् तेरा खुदा कोई और है न मेरा खुदा कोई और है--- बहुत सुन्दर बात आदमी को आदमी से जोडनी वाली शुभकामनायें
रज़िया जी बिलकुल सही कहा न् तेरा खुदा कोई और है न मेरा खुदा कोई और है--- बहुत सुन्दर बात आदमी को आदमी से जोडनी वाली शुभकामनायें
ना तेरा खुदा कोई और है
ना मेरा खुदा कोई और है
जिसे ढूंढता है तू यहाँ-वहाँ
दिल में तेरे वो मौजूद है ....
सच कहा ......... सबकी मंज़िल, सबका खुदा एक ही है बस रास्ते अलग अलग हैं ........
Bahut sundar sandesh prastut kiya aapne.
Shubhkamnayen
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