Sunday, July 13, 2008

वतन कि याद





मेरे ख्वाब में आके किसने जगाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
जो भुले थे वो आज फिर याद आया।
मुझे आज म्रेरा वतन याद आया।
वो गांवों के खेतों के पीपल के नीचे।
वो नदीया किनारे के मंदिर के पीछे।
वो खोया हुआ अपनापन याद आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो सखियों –सहेली कि बातें थीं न्यारी।
वो बहना की छोटी-सी गुडिया जो प्यारी।
वो बचपन की यादों ने फिर से सताया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो भेडों की,ऊंटों की लंबी कतारें।
वो चरवाहों की पीछे आती पुकारें।
कोई बंसरी की जो धून छेड आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो बाबुल का दहेलीज पे आके रूकना।
वो खिड़की के पीछे से भैया का तकना।
जुदाई की घडीयों ने फिर से रुलाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
मेरे देश से आती ठंडी हवाओ,
मुझे राग ऐसा तो कोई सुनाओ।
जो बचपन में था अपनी मां ने सुनाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।

8 comments:

Satish Saxena said...

वाह, वाह, रजिया जी !बहुत सुंदर शब्दचित्र है !

شہروز said...

बहुत खूब.लिखती रहें ,बस यही दुआ है जोर कलम और ज्यादा .कभी वक़्त हो तो www.hamzabaan.blogspot.com की तरफ भी आयें.अच्छा लगेगा.

ज़ाकिर हुसैन said...

वाह, वाह, रजिया जी !
बहुत खूब.लिखती रहें ,बस यही दुआ है जोर कलम और ज्यादा हो

ज़ाकिर हुसैन said...

रजिया जी
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया
अच्छा लिखती हैं आप
बस कुछ स्पेलिंग पर ध्यान दीजियेगा
और राबता रखियेगा

श्रद्धा जैन said...

aapki kavitaye padhi aur aapki profile bhi dekhi
ek baat jaani ki hum sensitive hai
painting , cooking aur likhna ye sabhi creative work hai jo hum karte bhi hai aur khush bhi hote hain
shayad kuch had tak hum khud se jayada jude hain introword is best word i would say

Smart Indian said...

वाह रजिया जी, आपकी कविता पढ़कर तो हमें भी वतन कुछ ज़्यादा शिद्दत से याद आया.

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाकई, हम अपने वतन को भूल सकते हैं क्या ? कतई नहीं. बेहतर क़लाम के लिये साधुवाद.

Capt. Narendra said...

क्या बात है, रजियाबहन! बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखीं हैं आपने। आपने चुना हुवा चित्र मेरे हृदयको छु गया। इस लिये कि ऐसी ही कुटिया मैंने मध्य-अमरिकी देश बेलिजमें देखी थी, और उस कुटियाके बाहर गायें देखी, बिलकुल हमारे वतन गुजरात जैसी। वतन याद आ गया! मगर हमारे पास आप जैसा कवि-हृदय नहीं कि ऐसा सुंदर काव्य लिख सकेें। हैरानीकी बात तो यह है कि गाडी रोक कर हमने हमारे गाइडसे पूछा तो उसने बताया कि इन गायोंकी नस्ल "ब्राह्मन" है अौर सौ साल पहले इनके पूर्वज भारतसे लाये गये थे। आपने कितनी यादें ताजा करदीं। शुक्रिया