जाने कहाँ से
रहने लगा था दिल में भी पहचान बनके वो।
वो
मेरा तो
करने लगा था राज भी सुलतान बन के वो।
वो जानता था उसकी दीवानी हुं बन गई।
उसके क़्दम से मानो सयानी सी बन गई।
ख़्वाबों में
हरवक़्त बातें करने की आदत सी पड गई।
उस के लिये तो सारे जहां से मैं लड गई।
एक दिन कहाँ चला गया अन्जान बनके वो।
कहते हैं “राज़” प्यार, वफ़ा का है दुजा नाम।
ईस पे तो
उस रासते चला है जो
9 comments:
बहुत सुन्दर रचना। बधाई
उसके क़्दम से मानो सयानी सी बन गई।
ख़्वाबों में जैसे छाया था अरमान बनके वो।
waah lajawab
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बधाई
कहते हैं “राज़” प्यार, वफ़ा का है दुजा नाम
ईस पे तो जान देते हैं आशिक वही तमाम .......
Vaah ....... Lajawaab khyaal hai.... pyaar vafaa ka doosra naam hi hai ... pyaar tabhi tak pyaar hai jab tak usme wafa hai ...... khoobsoorat likha hai ..
कहते हैं “राज़” प्यार, वफ़ा का है दुजा नाम।
ईस पे तो जान देते हैं आशिक वही तमाम।
उस रासते चला है जो परवान बन के वो।
वाह अतिसुन्दर सीधे दिल मे उतर गयी .......और क्या कहूँ......नि:शब्द हूँ.
बहुत खूब रजिया जी बहुत ही बेहतरीन रचना है ह्रदय की अंतर ध्वनी को जिस तरह से आप ने शब्द दिए है अद्भुद है ,,, प्रेमानुभूति की जो कल्पना आपने की है और संवेदित करती हुई आप की रचना के प्रति मै नत मस्तक हूँ
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
सुन्दर रचना.
दिल से जैसा निकला,
बस सामने रख दिया हो
ऐसी रचना.
साधुवाद. जारी रहें.
*-*-*
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बहुत ही प्यारा गीत लिखा है आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ho sake ki aap ka vo khavabo sehjada bhi aapki rah dekh raha ho..par aap use avoid kar rahi ho..
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