Sunday, September 20, 2009

"तेरी गवाही"....



तेरी गवाही हमें आनेवाले एक नये दिन का संदेश देती है।

तेरी गवाही के लिये हमलोग तुझे ढूंढते रहते हैं आसमान में।

पर तूं है कि .......छूप जाता है कभी बादलों में। कभी पेडों के पीछे,

हर नये महिने की शुरुआत, तेरी गवाही के बिना मंज़ूर नहिं।

आज भी इंतेज़ार है रोज़दारों को तेरी गवाही का।

कि तूं आज आसमान में नज़र आयेगा।

और एक महिने के रोज़दार , एक महिने की "ईबादत" के बाद....

तेरी गवाही के बाद कल "ईद" मनायेंगे।

8 comments:

M VERMA said...

उसकी गवाही होगी और जरूर होगी. आज वह आसमान मे नज़र आयेगा. एक महीने की इबादत यूँ ही बेकार नही जायेगी.
ईद की अग्रिम मुबारकबाद

mehek said...

तेरी गवाही के बाद कल "ईद" मनायेंगे।
bilkul chand ki gawahi bahut jaruri hai id manane ke liye.sunder baat

अजय कुमार झा said...

ईद पर इससे सुंदर प्रस्तुति कोइ हो ही नहीं सकती थी..

समयचक्र said...

सुन्दर और सारगर्भित .ईद की मुबारकबाद

Unknown said...

ख़ूब.........
बहुत ख़ूब.........
आफरीन...........
___दिल खुश नज़्म ....मुबारक हो......

संगीता पुरी said...

अच्‍छी रचना .. ईद मुबारक !!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

सुन्दर रचना.. देर सही पर आपको ईद मुबारक !!

Vipin Behari Goyal said...

बहुत खूब

Id mubarak