कोइ पुकारे तुझे कहेकर रहीम,
और कोइ कहे तुझे राम।…दाता(2)
क़ुदरत पर है तेरा बसेरा,
सारे जग पर तेरा पहेरा,
तेरा ‘राज़’बड़ा ही गहेरा,
तेरे इशारे होता सवेरा,
तेरे इशारे होती शाम।…दाता(2)
ऑंधी में तुं
पथ्थर से
बिन देखे को राह दिख़ाये,
तेरी
क़ुदरत के हर-सु में बसा तू,
पत्तों में पौंधों में बसा तू,
नदीया और सागर में बसा तू,,
दीन-दु:ख़ी के घर में बसा तू,
फ़िर क्यों में ढुंढुं चारों धाम।…दाता(2)
ये धरती ये अंबर प्यारे,
चंदा-सुरज और ये तारे,
पतज़ड हो या चाहे बहारें,
दुनिया के सारे ये नज़ारे,
देख़ुं मैं ले के तेरा नाम।…दाता(2)
7 comments:
रजिया जी, आपके ब्लॉग की डिजाइन की तरह आपकी कविताएं भी भावनाओं से ओत-प्रोत हैं, मुझे एक फिल्म का वो गाना याद आने लगा..तेरा ही करम 2...मेरे साथ ही चला मेरे साथ ही रुका....तेरा ही करम.........!!
रजिया जी
भावनाओ से ओत प्रोत एक और खूबसूरत रचना के लिये बहुत बहुत बधाई
बढ़िया भावपूर्ण.
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bahut hi khoobsoorat rachna padhane ke liye shukriya........
aise hi likhte rahen.........
तेरा ‘राज़’बड़ा ही गहेरा, yeh line waaqai mein gahri hai...
Regards.........
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www,lekhnee.blogspot.com
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bahut hi khoobsoorat rachna padhane ke liye shukriya........
aise hi likhte rahen.........
तेरा ‘राज़’बड़ा ही गहेरा, yeh line waaqai mein gahri hai...
Regards.........
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www.lekhnee.blogspot.com
खूबसूरत रचना बहुत बहुत बधाई.
Very-very nice blog.
I think can u write in gujarati and yours gujarati blog at Gujaratiblogs.com ! So why closed write gujarati blog ?!
आपकी सभी रचनाए बढियां एवम बहुत ही भाववाही और रसप्रद है!
अभिनंदन !!
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