Tuesday, August 18, 2009

मुझे आज मेरा वतन याद आया




मेरे ख्वाब में आके किसने जगाया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।

जो भुले थे वो आज फिर याद आया।

मुझे आज म्रेरा वतन याद आया।


वो गांवों के खेतों के पीपल के नीचे।

वो नदीया किनारे के मंदिर के पीछे।

वो खोया हुआ अपनापन याद आया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।


वो सखियों सहेली कि बातें थीं न्यारी।

वो बहना की छोटी-सी गुडिया जो प्यारी।

वो बचपन की यादों ने फिर से सताया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।


वो भेडों की,ऊंटों की लंबी कतारें।

वो चरवाहों की पीछे आती पुकारें।

कोई बंसरी की जो धून छेड आया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।


वो बाबुल का दहेलीज पे आके रूकना।

वो खिड़की के पीछे से भैया का तकना।

जुदाई की घडीयों ने फिर से रुलाया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।


मेरे देश से आती ठंडी हवाओ!

मुझे राग ऐसा तो कोई सुनाओ।

जो बचपन में था अपनी मां ने सुनाया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।

6 comments:

Unknown said...

vatan ki yaad ....
jaise maa ki yaad..............
jaise khuda ki yaad........
jaise apni yaad.............

aur jaise apne khushnumaa maazi ki yaad.....
is yaad ki mahak door door tak
dilon ko mahkaa deti hai
aur poori kaaynaat ko apnaa vatan banaa deti hai..........

waah !
waah raziyaji.... bahut khoobg likha..
bachpane ki yaad aur maa ka zikra...
vatan par likha yah beshkeemti kalaam
aapko mubaaraq !

परमजीत सिहँ बाली said...

bahut behatareen rachanaa hai. badhai.

dr firdosh dekhaiya said...

wah raziaji

Uttam lakho chho.deshdaaz joi ne anand thayo.

dr.Firdosh Dekhaiya

Vinay said...

अति पावन रचना
---
ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच

निर्मला कपिला said...

वो बाबुल का दहेलीज पे आके रूकना।

वो खिड़की के पीछे से भैया का तकना।

जुदाई की घडीयों ने फिर से रुलाया।

मुझे आज मेरा वतन याद आया।
कुछ यादें आँखें नम कर ही देती हैं बहुत सुन्दर रचना है बधाई

jamos jhalla said...

MAAYEKE aur VATAN ki yaad ka sateek chitran .Mubaaraq