Monday, March 30, 2009
मेरे वतन के वास्ते
मेरे वतन के वास्ते
एक नारा आज दो अपने वचन के वास्ते।
कारवाँ अब ये चला है खुद अमन के वास्ते।
क्या लडाइ क्या है हिंसा क्यों ये नफरत है रवाँ?
क्यों है ये जलती ज़मीं, और क्यो है ये जलता जहाँ?
खोल दो पंछी के पर उपर गगन के वास्ते।
कैसा मजहब कैसा इमाँ जिसमें बहता खून है?
कैसे है भटके ये नादाँ, दिल में केसी धून है?
केसी छेडी है लडाइ एक कफ़न के वास्ते।
है यहीं जन्नत, यहीं दोज़ख, यहीं है जिंदगी।
बाँट के देखो खुशी तो पाओगे तुम भी खुशी।
प्यार बाँटो नौजवानों अंजुमन के वास्ते।
तुम को ये कैसा गुमाँ क्या तुम कोइ भगवान हो?
जो हुए गुमराह पथ से तुम तो बस नादान हो।
क्यों चले हो राह तुम अपने पतन के वास्ते।
आयेगा ये दौर फिर से, होगी ज्योतिर्मय ज़मीं।
हर तरफ़ से फ़िर उठेगी प्यार की एक रागिनी।
”राज़” होगा मरहबा मेरे वतन के वास्ते।
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22 comments:
मेरे वतन के वास्ते
एक नारा आज दो अपने वचन के वास्ते।
कारवाँ अब ये चला है खुद अमन के वास्ते।
acha likhti hai aap. blog jagat me aapka swagat hai.
क्यों चले हो राह तुम अपने पतन के वास्ते।
आयेगा ये दौर फिर से, होगी ज्योतिर्मय ज़मीं।
हर तरफ़ से फ़िर उठेगी प्यार की एक रागिनी।
”राज़” होगा मरहबा मेरे वतन के वास्ते।
hamesha ki tarha khubsurat sandeshatmak kavita
अभी किसी ब्लाॅग पर आपकी टिप्पणी देखी। मैं हैरान हूं कोई ऐसे भी लिख सकता हैं। दर्द किस-किस फार्मेट में तब्दील होकर हमारे सामने है। मुझे आपको पढ़कर महसूस हो रहा हैं।
आपकी टिप्पणी हिंदी ब्लॉग टिप्स पर देखि जन्म दिन की बधाइयाँ :-)
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने.. आभार
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने.. आभार
सालगिरह की मुबारकबाद कबूल करें.
कारवाँ अब ये चला है खुद अमन के वास्ते।....
i always with u for peace...thanks
har koi chahta hai aman ho...
ab na khi dher au lashe kafan ho.
Jimmewari yuwaon ke haath hai ....par bahut kam hi ise nibha pa rahe hain.
Navnit Nirav
Raziya,ji...lagtaa hai mere manse alfaaz aapne le liye hon...
Mujhe nahee pata ki aapne meree "Ek Hindustanee kee Lalkaar, phir ek baar", is tehet 3 rachnayen padhee yaa nahee..."Kavita" blogpe hain...
lekin, kahungee, ke, apkee barabaree kaheen bhee nahee...mai na lekhak hun na kavee...
bahut hee sundar rachna, bharat ko jodtee. bahut dino bad aapka likha padhne ko mila .
are baap re aapne to mujhe dara diya kahin ve mujhe hee to nahin dhoondh rahe hain, aaj pehlee baar apke blog par aaya hoon ab aana hee padegaa niyamit roop se, achha likhtee hain aap....
आपकी नयी पोस्ट का इंतजार है।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
आपकी अगली पोस्ट का इंतजार है।
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खुशियों का विज्ञान-3
ऊँट का क्लोन
बहुत प्रभाव कारी लेखन ..
Prerna prad rachna ke liye aabhaar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आप हैं कहाँ ?
मैं न जाने कितनी बार आकर लौट चूका हूँ !
आप क्या अब नयी पोस्ट नहीं लिखेंगी ?
आज आपका ब्लॉग देखा.......सुन्दर रचनाएं हैं ..............
pahli bar aaya aapke blog par, haalaanki bahut puraani post he, kintu,, jese jab jaago tab sabera ki baat he, vese hi jab pahli baar kuchh read karo, nayaa aour taazaa ho hotaa he//
achha lagaa,, likhti rahiye to sahitya ke safar ko uske pathik ka saath milta rahega
केसी छेडी है लडाइ एक कफ़न के वास्ते।
काश हम इंसान यह बात समझ जाते,बधाई लिखते रहें
श्याम
आपने बहुत ही अच्छा लिखा है....
रजि़या जी मेरे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी देने का शुक्रिया । बहुत सुंदर लिखती हैं आप, जो जज़्बा आपके दिल में है, दुआ करती हूँ हर हिंदुस्तानी के दिल में आबाद हो ।
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