मैं गिर जाउंगा पापा मुझे सहारा दो ना!
ना बेटा! डरो मत ! दे खो ऐसे सहलाते हैं इन्हें। ये तो ऊंची नस्ल का घोड़ा है। पापा ने अपने डरे हुए 10 साल के बेटे हौसला दिया।
पाँच साल बाद.....
पापा कल मेरी 10वीं बोर्ड का पहला पेपर है। आप आयेंगे न मेरे साथ?
अरे बेटा!! मैंने तो पूरे 15 की छुट्टी ले रक्खी है। गभराते क्यों हो? तूम्हारी मम्मी और मैं हम दोनों तुम्हारे परीक्षा केन्द्र आयेंगे। जब तक तुम्हारा इम्तिहान खत्म नहिं हो जाता हम वहां बैठे ही रहेंगे।
और पाँच साल बाद.......
“पापा! सभी के पास मोटरबाइक है। मुझे भी चाहिये। मुझे शर्म आती है अपने दोस्तों के बीच। हर बार किसी से मांगता रहता हूं”।
“बेटा कल ही मैं अपने प्रोवीडंट फ़ंड में अरज़ी लिख देता हूं। एक हफ़्ते में फ़ंड मिल जायेगा। तुम खरीद लेना अपनी पसंद की बाइक”।
पाँच साल और.....
.पापा ये सुनिता है। मेरी ओफिस में ही काम करती है। बहोत अच्छी लड़की है। मैं शादी करना चाहता हूं इससे”।
“अब तुम बड़े हो गये हो। तुम्हें उसके साथ जिन्दगी निभानी है। अगर तुम्हें पसंद है तो हमारी भी खुशी तुम्हारे साथ ही है”।
एक साल बाद......
”बेटा! तूम्हारी माँ मुझे बीमार-सी लगती है। अस्पताल ले जाओ ज़रा। आज छुट्टी रख दो”।
‘क्या बात करते हो पापा! आज मेरी कंपनी में मेनेजींग डिरेकटर आ रहे हैं। मैं नहिं जा सकता। आप ही चले जाओ”।
अच्छा ठीक है मैं चला जाताहुं। ज़रा सहारा देकर हमें ख़डा तो करो।
“अब बस भी करो पापा!! आप लोग इतने भी कमज़ोर नहिं हो कि ख़डे न हो पाओ”।
“हमें संभालो बेटा!!! हम लोगों में अब उतरता हुआ ख़ुन है। आज हम कमज़ोर हैं। हमें सहारे की जरूरत है।
“हम गिर जायेंगे बेटा!!
8 comments:
मनमोहक
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
रोचक अभिव्यक्ति बहुत उम्दा
रोचक.........
सही चित्रण....आज के बदलते परिवेश का...
CHAL CHITR KI TARAH JEEVAN KA SATY PARIS DIYA AAPNE ..... KITNA KADUVA SACH HAI ..... YE GHAR GHAR KI KAHAANI HONE WAALI HAI ....
कुछ कहने की ज़रूरत नही । चित्र साकार है ।
यह लघु कथा एक सटीक जीवन दर्शन है. धन्यवाद आपका. आपके ब्लॉग पर आकर हमे ख़ुशी हुई !!
- सुलभ [यादों का इंद्रजाल..]
वाह क्या बात है
पूरा का पूरा जीवन उसकी कटु सच्चाईयो के साथ समेट लिया है.
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